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मेरा डिजिटल मार्केटिंग में सफर निर्मल शुरुआत से शुरू हुआ, जो मुझे फोन रिपेयरिंग से एसईओ और एफिलिएट मार्केटिंग की दुनिया तक ले आया।
- शुरुआत में मैं फोन रिपेयरिंग में काम करता था।
- एक रिश्तेदार के जरिए एसईओ का परिचय मिला, जो एक फर्नीचर कंपनी के मालिक थे।
- गुजरात में विकल्पों की कमी के कारण दिल्ली में एसईओ कोर्स किया।
- एसईओ सीखते समय फर्नीचर कंपनी के लिए काम शुरू किया।
- डिजिटल मार्केटिंग की दुनिया में उतार-चढ़ाव किया, विभिन्न रणनीतियों का परीक्षण किया।
- एडसेंस के माध्यम से धन कमाने के लिए व्यक्तिगत ब्लॉग शुरू किया।
- समय के साथ धन कमाने में धीरे-धीरे वृद्धि देखी।
- एडसेंस अर्निंग को बनाए रखने की चुनौतियों का सामना किया।
- खातों को पुनः स्थापित करने के लिए सहनशीलता और रणनीतिक अपील जमा करने की महत्व को समझा।
- विपरीतता के बावजूद, वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करके सफर को जारी रखा।
निष्कर्ष (समापन):
मेरा डिजिटल मार्केटिंग सफर, फोन रिपेयरिंग से व्यक्तिगत ब्रांड स्थापित करने और एडसेंस के माध्यम से धन कमाने तक, सहनशीलता, सीखने और अनुकूलन के संग्रह है।
एडसेंस का अवधारणा और उसका अनुभव
लोग बेचते थे $50 में एडसेंस के अकाउंट, फिर आप उसमें अपना वेबसाइट डाल दो और वो करते, तो हम खरीद लेते थे। लेकिन यह करते करते मुझे पता था कि एक दिन यह एकदम बंद होने वाला है।
नए कोर्सेस का अनुभव
मैंने पाया कि पैसे को इन्वेस्ट करके हम कुछ ना कुछ आगे बढ़ा सकते हैं। मैंने फिर कोर्सेस में इन्वेस्ट किया – प्रिंट ऑन डिमांड, एफिलिएट मार्केटिंग, और ड्रॉप शिपिंग।
ई-कॉमर्स में प्रवेश और अनुभव
मुझे पता था कि ड्रॉप शिपिंग में कुछ प्रोडक्ट्स बिकते हैं, इसलिए मैंने ई-कॉमर्स वेबसाइट खोली, लेकिन उसमें अच्छी बिक्री नहीं हो रही थी।
ब्रांडिंग और वायरल मार्केटिंग
हमने नेगेटिव मार्केटिंग का उपयोग किया, जिससे हमारा ब्रांड वायरल हुआ, लेकिन इससे हमारे लिए कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हुआ।
अन्य विचार और अनुभव
मुझे अन्य लोगों की राय पर भरोसा नहीं है, और मैं हर व्यापारिक अवसर को ज्यादा सोच-समझ के साथ निर्णय लेता हूँ।
समझे, आपका मतलब है कि हर ब्रांड का अपना अलग क्रिटेरिया होता है जिससे वह अपने आप को बेहतर ब्रांड साबित करने की कोशिश करता है। व्यक्ति की बातों से समझा जा सकता है कि वह किस ब्रांड को सबसे अधिक महत्व देता है और उसे कैसे प्रमोट करता है। उसने अपने ब्रांड को लेकर किए गए कारोबारी निर्णयों के बारे में विस्तार से चर्चा की है। इसके अलावा, वह अपने पापा की दुकान से प्रेरणा लेकर अपने ब्रांड को विकसित करने की प्रक्रिया के बारे में बताया है।
इस बात को उजागर करते हुए कह सकते हैं कि “ब्रांडिंग में सफलता पाना सबसे मुश्किल काम है, लेकिन इसके लिए मेहनत और सही दिशा बहुत महत्वपूर्ण होती है।”
व्यक्ति ने इस विचार को और भी स्पष्ट करते हुए कहा है कि ब्रांडिंग करने के लिए सही नाम चुनना कितना महत्वपूर्ण है। उन्होंने अपने ब्रांड का नाम अदिल कादरी के नाम पर रखा है, जिससे उन्हें पहचान मिलती है और लोग उन्हें उसी नाम से जानते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि अपने नाम से ही ब्रांड नाम चुनने का एक नया और अनोखा तरीका हो सकता है। उनकी यह कहानी हमें यह शिक्षा देती है कि अपने ब्रांड को बनाने के लिए नए और निर्माणात्मक दृष्टिकोण को ध्यान में रखना आवश्यक है।
बातचीत का मुख्य धारा उसी बिजनेस को स्थापित करने और चलाने में आने वाली चुनौतियों और अनुभवों के बारे में है, खासकर इ-कॉमर्स के क्षेत्र में। वक्ता उद्दीपन और प्रेरणा का महत्व बताते हैं, जब भी किसी भी अड़चना का सामना किया जाता है। उन्होंने मजबूत मानसिकता और सहनशीलता की महत्वपूर्णता को उजागर किया है, प्रेरणात्मक वीडियोज़ और अपने व्यवसायिक अनुभवों से प्रेरित होकर।